Maanav Mastisk Ka Samajik Roop : Kumar Santosh

Maanav Mastisk Ka Samajik Roop

ISBN‏ : ‎ 9798886672510
Publisher: Notion Press (2022)

यह किताब सामाजिक गतिविधियों और स्वयं पर आधारित है। जिसमें बताया गया है कि व्यक्ति क्यों सोचता है? क्या कारण है? क्या मनुष्य अन्य जीवों से अलग है? अगर अलग है तो कैसे? जब मनुष्य को दर्द (पीड़ा) होती है तो उसके सोचने का क्या स्तर होता है? और वह क्या सोचता है? और पीड़ा के दौरान वह कहाँ तक सोच सकता है? क्या मनुष्य अपने अनुभव का अपने जीवन में सही उपयोग करता है या वह करने पर मजबूर होता है। इस किताब के माध्यम से हम अपने जीवन के एक स्तर को पहचान सकते हैं और जिसके मायने अलग अलग हो सकते हैं।

लेखक कुमार संतोष जी वर्तमान में प्रयागराज उत्तर प्रदेश से UPSC सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं। इन्होने B.sc. राष्ट्र कवि मैथिलीशरण महाविद्यालय से की है अभी वर्तमान में M.sc. राष्ट्र कवि मैथिलीशरण महाविद्यालय से ही कर रहे हैं। इनकी रूचि अखबार और समाजिक किताबें पढ़ने में है।

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